Shiv chaisa Secrets
Shiv chaisa Secrets
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तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर,
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
हाथो में त्रिशूल लिए है गले में है सर्पो की माला
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम Shiv chaisa दूत अतुलित बल धामा
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। shiv chalisa lyricsl सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
खुद को राख लपेटे फिरते, औरों को देते धन धाम
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
जय सन्तोषी मात अनूपम। shiv chalisa lyricsl शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥